अप्रैल 22, 2024
सुकून की तलाश में खरीद बैठे मुश्किलें, सोशल मीडिया पर किया पोस्ट
एक आशियाना, हर तरफ खुशियां, हर और सुकून कमोबेश हर इंसान का यह ख्वाब होता है। शहर के कोलाहल और भागदौड़ भरी जिंदगी से राहत पाने के लिए वह जगह तलाश रहा है, लेकिन उम्मीदों और भरोसे के साथ उठाए गए कदम उन्हें मुश्किलों की तरफ ले जा रहे हैं। हालात किसी प्राइवेट बिल्डर से बनें तो यकीन किया जा सकता है। लेकिन सरकारी प्रोजेक्ट्स के साथ भी यही दोहराव हो तो असंतोष ज्यादा गहरा जाता है।
मामला राजधानी स्थित सफायर पार्क सिटी में पसरे हैं। एमपी हाउसिंग बोर्ड ने इस मेगा प्रोजेक्ट को आकार दिया है। करीब 14 एकड़ जमीन पर फैले इस प्रोजेक्ट में 4 गेट से घिरे 120 डुप्लेक्स मौजूद हैं, लेकिन यहां की सुरक्षा के लिए महज 2 सुरक्षा गार्ड मौजूद हैं, जिनके जिम्मे पूरे क्षेत्र की 24 घंटे की निगरानी रखी हुई है। सूत्रों का कहना है कि हाउसिंग बोर्ड ने रहवासियों से सुरक्षा के नाम पर प्रति निवासी 2.50 लाख रुपए जमा कराए हैं। रहवासी अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित तो हैं ही, उन्हें बगीचे की बदहाली और सड़क पर फैली गंदगी भी झेलना पड़ रही है।
जिम्मेदार नदारद
सफायर पार्क सिटी के निवासी अरविंद शीले कहते हैं कि प्रोजेक्ट पूरा कर हाउसिंग बोर्ड नदारद हो गया है। अब किसी तरह की समस्या को लेकर सुनवाई करने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है। शीले ने सुरक्षा व्यवस्था से लेकर बगीचे की देखरेख और सड़कों की बदहाली को लेकर कई बार हाउसिंग बोर्ड के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर और असिस्टेंट इंजीनियर से शिकायत की, लेकिन हालात ढाक के तीन पात जैसे बने हुए हैं।
और गांधीगिरी से विरोध
वरिष्ठ पत्रकार अरविंद शीले अपनी समस्याओं को लेकर कई बार अधिकारियों से संपर्क कर चुके। लेकिन कोई समाधान न निकलने पर उन्होंने गांधीगिरी का तरीका अपनाया है। शीले ने अपने घर के बाहर एक बोर्ड लगाया है। जिस पर लिखा है “यहां रहने में बड़े खतरे हैं…!” उन्होंने अपने घर के बाहर लगे इस बोर्ड की तस्वीर सोशल मीडिया पर भी वायरल की है। साथ ही लोगों से उनके विचार आमंत्रित किए हैं कि इस स्थिति में उन्हें क्या कदम उठाया जाना चाहिए।