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134 वीं जयंती पर लेख

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भारत के महान क्रांतिकारी राष्ट्रीय सेवक सामाजिक जागृति के संचालक थे शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी
लेखक संतोष गंगेले कर्मयोगी नौगांव बुंदेलखंड जिला छतरपुर मध्य प्रदेश में

जब भारत अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, कड़े से कड़ी कानून के तहत कठिन कठोर सजा दी जाती थी उस समय भारत के सपूत पत्रकारिता की पुरोधा शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी जी ने अपने साप्ताहिक प्रताप समाचार पत्र के माध्यम से 1913 में देश की आजादी में एक आंदोलन चलाया क्रांतिकारी के रूप में पत्रकारिता की, जनमानस को जगाने का काम किया उनकी लगन कर्तव्य निष्ठा ईमानदारी की बराबरी भारत की पत्रकारिता में आज तक कोई पत्रकार नहीं कर सका है ।
26 अक्टूबर 2024 को उनकी 134 वीं जन्म तिथि जयंती मनाई जानी है उस संबंध में यह लेख वर्तमान युवा पत्रकारों भारतीय पत्रकारिता को लेख के माध्यम से मार्गदर्शन मिल का पत्थर साबित होगा ।
25 मार्च 1931 को शाहिद गणेश शंकर विद्यार्थी जी की जीवनी के बारे में संक्षिप्त जानकारी यहां प्रस्तुत कर रहा हूं । शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी जी के पिता श्री जय नारायण श्रीवास्तव शिक्षक के रूप में अपने धर्मपत्नी गोमती बाई के साथ भारत की संस्कृति संस्कारों को लेकर शासकीय नौकरी में शिक्षक के पद पर ग्वालियर क्षेत्र में कार्यरत थे उनके घर 26 अक्टूबर 1890 को एक बालक का जन्म अपने मां के यहां ननिहाल में अतरसुया मोहल्ला दुर्गा पूजा पार्क के पास इलाहाबाद प्रयागराज में हुआ ।
इस बालक की माता जी श्रीमती गोमती बाई श्री गणेश जी महाराज की परम भक्त थी उनकी पूजा करती थी और हमेशा उनके सामने एक ही प्रार्थना थी कि हमें गणेश जी एक संतान के रूप में हमारे घर विराज और वह बालक का नाम गणेश शंकर रखा गया । शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी जी के पिताजी श्री जय नारायण श्रीवास्तव मुंशी जी के नाम से चर्चित थे उनका मूल जन्म स्थान जयस्थ हथगांव फतेहपुर उत्तर प्रदेश था वह मुंगावली ग्वालियर में नौकरी करने गए वहां पर गणेश शंकर विद्यार्थी की शिक्षा हुई कुछ समय विदिशा भोपाल में अभी शिक्षा हुई 16 वर्ष की आयु में गणेश शंकर विद्यार्थी जी साहित्य के क्षेत्र में जुड़कर कविताएं और देश प्रेम की कहानी चुटकुले लेख आदि लिखने लगे और उन्होंने अपने लेख पंडित महावीर प्रसाद द्विवेदी के समाचार पत्र सरस्वती एवं अन्य समाचार कर्म योगी स्वराज हित वार्ता आदि में प्रशासन के लिए भेजें संपादक को उनकी लेखनी उनके साथ उत्तम आर्टिकल आलेख पर समाचार पत्रों में प्रमुख स्थान मिला और उनकी पत्रकारिता से रूचि बढ़ गई । उन्होंने पढ़ाई छोड़कर कानपुर में एक कंपनी में नौकरी करना शुरू की नौकरी करते हुए उन्हें किसी का नौकर करना उचित नहीं लगा उन्होंने कहा कि नौकरी एक गुलामी है हमारा देश गुलाम है पर हम गुलाम बनके नहीं रह सकते हैं उन्होंने नौकरी छोड़कर के देश सेवा राष्ट्रभक्ति का रास्ता तय किया । देश की आजादी के लिए स्वाधीनता संग्राम की तरह और पत्रकारिता में क्रांतिकारी पत्रकारों की तरह लखनी का काम शुरू किया ।

  सन् 1910 में उन्हें पत्रकारिता की रूचि लगन बढ़ती गई और उन्होंने अपने तीन मित्र श्री शिव नारायण मिश्रा नारायण दास अरोड़ा श्री यशोदा नंदन के साथ मिलकर एक सप्ताह समाचार पत्र जिसका नाम प्रताप के प्रकाशन की रूपरेखा तैयार की और वह समाचार पत्र शासन से स्वीकृति लेकर 9 नवंबर 1913 को पहला अंक प्रकाशित हुआ ।

साप्ताहिक समाचार पत्र के पहले अंक में ही किसने की समस्याएं मजदूरों की आवाज आम जनता की आवाज बनकर यह पेपर जनमानस में सामने आया पहले अंक को पढ़कर ही आसपास के लोग साप्ताहिक प्रताप पेपर को पढ़कर प्रभावित हुए । अंग्रेजों ने दो बार उनको जेल भेजा ।
गणेश शंकर विद्यार्थी जी देश के आंदोलन में एक क्रांतिकारी के रूप में देश को आजाद करने के लिए अपनी वाणी से और कार्यों से जनता को प्रभावित कर रही थी वही अपनी लिखने के माध्यम से आजादी में भाग लेने के लिए उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अनेक लेख और समाचार प्रकाशित किया जिससे उनको गिरफ्तार किया गया और उनको जेल भेजा गया उनके समाचार पत्र को भी बंद किया गया लेकिन जैसे ही वह जेल से छूट और उन्होंने पुनः अपील कर यथावत पेपर समाचार पत्र निकाला ।

उसे समय समाचार पत्र टंकण विधि से तैयार होते थे छापा मशीन से छापे जाते थे, समाचार वितरण करने के लिए विद्यार्थी जी को स्वयं साइकिल से पैदल समाचार पत्र बांटना पढ़ते थे । समाचार पत्रों को सीमित साधन होने के बाद भी रेलवे स्टेशन पर खड़े होकर चिल्ला कर बेचना रेलवे के बोगी डब्बा में चिपकाना इस तरह से प्रचार प्रसार हुआ करता था । अंग्रेजों ने पत्रकारों के दमन के लिए कठोर कानून बनाए थे जिसका कई बार सामना करना पड़ा । उन्होंने भारत के महान देश प्रेम करने वाले महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के समाचार पत्र अभ्युदय समाचार पत्र में काफी समय तक काम किया पंडित माखनलाल चतुर्वेदी श्री बालकृष्ण शर्मा नवीन राजा राममोहन राय भारत के क्रांतिकारी नेताओं आंदोलनकारी पत्रकारों के साथ देश के लिए काम किया वह भारत के एक सच्चे सपूत क्रांतिकारी आंदोलनकारी स्वाधीनता संग्राम सेनानी और पत्रकारता के आधार स्तंभ माने जाते हैं । उनकी जयंती प्रतिवर्ष 26 अक्टूबर को मनाई जाती है उनके जन्म दिवस पर यह लेख लिखने का अवसर वर्तमान पत्रकारों को जीवन संघर्ष से परिचय कराने का उद्देश्य रहा ।
कानपुर में हिंदू मुस्लिम दंगा चल रहे थे इन्हीं दंगों को रोकने के लिए उन्होंने अपने समाचार पत्रों के माध्यम से और अपनी लेखनी से काफी प्रयास किया लेकिन समाज विरोधी धर्म विरोधी तथा सांप्रदायिकता उन्माद करने वाले लोगों ने हत्या कर लिया था कि हम मौका देखकर उनकी हत्या करेंगे । कानपुर में दंगे भड़क चुके थे क्योंकि आजादी के तीन सपूतों को फांसी पर चढ़ाया जाना था इसी से लेकर के हिंदू मुस्लिम दंगा भड़के, देश के गद्दारों ने देशद्रोहियों ने आखिर 25 मार्च 1931 को उनकी गर्दन काट कर हत्या कर दी गई । उनकी लाश कपड़ों की पहचान से पहचानी जा सकी और उनका अंतिम संस्कार किया गया ।
गणेश शंकर विद्यार्थी भारत के महान पत्रकारिता के महायुद्ध रोध कर्मयोगी साहसी और राष्ट्रीय सेवक राष्ट्रभक्ति सामाजिक समरसता के साक्षात पुरोधा थे उनकी मृत्यु के बाद पूरे देश में पत्रकारिता की आपूर्तियां क्षति हुई जिसकी पूर्ति देश आजाद होने के बाद भी आज तक पूरी नहीं की जा सकी ।
उत्तर प्रदेश सरकार को भारत सरकार ने शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी जी की स्मृति में उनकी पुण्यतिथि में उत्तर प्रदेश विभिन्न विश्वविद्यालय सामाजिक संस्थाओं रेलवे स्टेशन हवाई अड्डा आदि स्थानों का नाम भी शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी जी के नाम से करके उनको सच्ची श्रद्धांजलि दी है भारत सरकार ने उनके नाम से टिकट निकाला और पूरे देश में उनका नाम हुआ ।
मध्य प्रदेश के मुंगावली अशोक नगर जहां उनकी शिक्षा हुई उनका विद्यालय आज भी खंडहर पड़ा हुआ है वहां के नगर पालिका अध्यक्ष के द्वारा आम चौराहे पर प्रतिमा की स्थापना तो कर दी गई है लेकिन उनका विद्यालय आज भी खंडहर में तब्दील हो रहा है
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी नौगांव बुंदेलखंड जिला छतरपुर मध्य प्रदेश के द्वारा शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी जी को वर्ष 2013 में सच्ची श्रद्धांजलि देते हुए उनके नाम से गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब संगठन संस्था का पंजीयन कराकर संपूर्ण मध्य प्रदेश में जन-जन तक उनकी विचारधारा को पहुंचाने का काम किया संपूर्ण मध्य प्रदेश के पत्रकारों को इस संगठन में जोड़ने उन्हें सम्मानित करने उनकी समस्याओं को समाधान करने का प्रयास किया गया आज भी यह संगठन मध्य प्रदेश में निष्पक्ष ईमानदार कर्तव्य और उनकी विचारधारा को लेकर काम कर रहा है इसके वर्तमान अध्यक्ष श्री आशीष जैन संपादक दैनिक भूमिका भास्कर सागर संपूर्ण मध्य प्रदेश में संगठन को संचालित कर रहे हैं संस्थापक कमेटी इस संख्या के संचालन के लिए समय-समय पर निर्णय लेकर कार्य करती रहती है।

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